हंसने और छींकने पर यूरिन हो जाए लीक, तो समझ जाएं इस बीमारी के हो गए हैं शिकार

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Urinary Incontinence Disease in Hindi
Urinary Incontinence Disease in Hindi

Urinary Incontinence: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कुछ दिनों तक यूरिनरी इंकंटिनेंस (Urinary Incontinence) का एहसास होता है। वहीं, कुछ ऐसी महिलाएं होती हैं, जिनको गर्भावस्था के बाद भी इसका अनुभव होता है।

एक अध्ययन के अनुसार, यूरिनरी इंकंटिनेंस का अनुभव करना कुछ हद तक महिलाओं के लिए खतरनाक भी हो सकता है। वहीं, गर्भावस्था के दौरान इस तरह की समस्याएं नॉर्मल होती हैं। लेकिन अधिक समय तक ऐसा अनुभव होना घातक हो सकता है। चलिए इस लेख के जरिए जानते हैं यूरिनरी इंकंटिनेंस के बारे में-

क्या है यूरिनरी इंकंटिनेंस?  (What is urinary incontinence)

(Urinary Incontinence) यूरिनरी इंकंटिनेंस किसी भी व्यक्ति को तब होता है, जब वह वे अपने मूत्राशय पर नियंत्रण खो देते हैं, जो प्रेग्नेंसी के बाद लगभग 50% महिलाओं को प्रभावित करता है। इस दौरान महिलाएं ना चाहते हुए भी यूरिन लीक कर देती हैं।

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यूरिनरी इंकंटिनेंस महिलाओं और उनके स्वास्थ्य के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। यूरिनरी इंकंटिनेंस आमतौर पर दो तरह के होते हैं।

स्ट्रेस इंकंटिनेंस (Stress Incontinence)

स्ट्रेस इंकंटिनेंस खांसने, छींकने, हंसन या फिर कूदने की क्रिया के दौरान कभी भी हो सकता है। इसे ही स्ट्रेस इंकंटिनेंस कहा जाता है। कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के तीसरे माह में ऐसा अनुभव होता है। क्योंकि इस दौरान गर्भाशय थोड़ा भारी हो जाता है, जो मूत्राशय को दबाता है।

इसके अलावा शरीर में कुछ ऐसे हार्मोन भी होते हैं, जो आपके शरीर को प्रसव के लिए तैयार करने के दौरान ऊतकों और जोड़ों को अधिक लोचदार बनाते हैं। इससे मूत्राशय अपना नियंत्रण खो देता है।

ब्लैडर का अधिक एक्टिव हो जाने से (Active Bladder)

यह यूरिनरी इंकंटिनेंस का दूसरा रूप है। शरीर में यह असंयमता तब होती है, जब  हमारा मूत्राशय अधिक सक्रिय हो जाता है। उदाहरण के तौर पर समझें तो, जब आपको वॉशरूम जाना होता है, तो जैसे ही आप वॉशरूम जाते हैं, उससे पहले यूरिन लीक हो जाती है। इसके अलावा तनाव अधिक होने से भी इस तरह की समस्या होती है।

यूरिनरी इंकंटिनेंस को कैसे कर सकते हैं मैनेज

आज के दौर में अधिकतर डिलीवरी ऑपरेशन से होने लगी है। ऐसे में कहना काफी मुश्किल है कि आप यूरिनरी इंकंटिनेंस को कैसे मैनेज कर सकते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान और शिशु होने के बाद आप अपनी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने के बारे में सोच सकती हैं।

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अपनी मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए आप केगेल (Kegel Exercises) कर सकती हैं, जो आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।

केगेल एक्सरसाइज अगर सही ढंग से किया गया, तो तनाव को कम किया जा सकता है। इससे यूरिनरी इंकंटिनेंस सही होने की संभावना होती है। इसलिए गर्भावस्था के चौथे महीने से केगेल एक्सरसाइज करना शुरू करें दें। प्रेग्नेंसी के बाद तक इस एक्सरसाइज को जारी रखें।

कैसे करें केगेल एक्सरसाइज (Kegel Exercises)

  • सबसे पहले अपने जांघ, पेट और नितंब की मांसपेशियों को सीधा रखें।

  • श्रोणि (पेल्विक) की मांसपेशियों को कस लें।

  • 10 सेकंड तक अपनी मांसपेशियों को इसी स्थिति में रखें।

  • 10 सेकंड के बाद पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को आराम दें।

  • इस एक्सरसाइज को आप किसी भी समय आराम से कर सकती हैं।

  • केगेल एक्सरसाइज आप ड्राइविंग करते समय या फिर अपनी डेस्क पर बैठे हुए भी कर सकती हैं।

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